“परिवार”
“परिवार” से बड़ा कोई “धन” नहीं । “पिता” से बड़ा कोई ” सलाहकार ” नहीं ।
“माँ ” की छाव से बड़ी कोई “दुनिया” नहीं । “भाई ” से अच्छा कोई “भागीदार ” नहीं ।
“बहन ” से बड़ा कोई ” शुभचिंतक ” नहीं । “पत्नी” से बड़ा कोई ” दोस्त ” नहीं ।
इसलिए “परिवार” के बिना “जीवन” नहीं । आगे बढ़ने की चाहत में ..
“परिवार” पीछे छुट रहा हैं, और इनसे मिलने वाली खुशियाँ भी।
“परिवार” प्यार का दूसरा नाम हैं…
अपने परिवार को समय दीजिए, इससे प्रेम और विश्वास का रिश्ता मजबूत बनाता है।
जब आप अपनी जिंदगी की तरफ देखते हैं, तो आपकी सबसे बड़ी खुशियां..
आपके परिवार की खुशियां ही होती हैं।
“परिवार में” – कायदा नही परन्तु व्यवस्था होती है ।
“परिवार में” – सूचना नहीं परन्तु समझ होती है।
“परिवार में” – कानून नहीं परन्तु अनुशासन होता है।
“परिवार में” – भय नहीं परन्तु भरो सा होता है ।
“परिवार मे”- शोषण नहीं परन्तु पोषण होता है।
“परिवार मे”- आग्रह नही परन्तु आदर होता है।
“परिवार मे”- सम्पर्क नही परन्तु सम्बन्ध होता है।
“परिवार मे”- अर्पण नही परन्तु समर्पण होता है।
याद रखें “परिवार” आप नहीं चुनते। ईश्वर आपके लिए चुनते हैं ।
एन एस परिवार की ओर से नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
(रायसहाब एंड स्वाति )
Parevar (Family)
Reviewed by
Akshat Jain
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00:21
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