“धर्म सबसे उत्तम मंगल है। अहिंसा, संयम और तप ही धर्म है।महावीरजी कहते हैं जो धर्मात्मा है, जिसके मन में सदा धर्म रहता है,उसे देवता भी नमस्कार करते हैं।”
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